85 साल बाद दो भागों में बंटे मिथिला जल्द एक हो जाएगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का सपना जल्द साकार होने जा रहा है। प्रधानमंत्री 8 अगस्त को कोशी रेल महासेतु देश को समर्पित करेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली से कोशी रेल महासेतु का उद्घाटन करने की संभावना है। इसको लेकर रेलवे अपनी तैयारियों में लग गया है। उत्तर भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ने के लिए वेकल्पिक मार्ग मिलेगा। कोशी महासेतु होकर दिल्ली से गोरखपुर सीतामढ़ी दरभंगा सकरी निर्मली सरायगढ़ फारबिसगंज के रास्ते पूर्वोत्तर भारत जाने के लिए एक छोटा रास्ता मिलेगा। इसके अलावे सुपौल से अररिया गलगलिया के रास्ते न्यू जलपाईगुड़ी होते हुए गुवहाटी तक लंबी दूरी की ट्रेनो का परिचालन आसानी से किया जा सकेगा। नवनिर्मित कोसी महासेतु से शीघ्र ही रेल परिचालन शुरू होने की उम्मीद है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 6 जून 2003 को नए कोसी महासेतु के निर्माण हेतु शिलान्यास किया गया था। 1.9 किलोमीटर लंबे नए कोसी महासेतु सहित 22 किलोमीटर लंबे निर्मली-सरायगढ़ रेलखंड का निर्माण वर्ष 2003-04 में ₹323.41 करोड़ की लागत से स्वीकृत किया गया था। परियोजना की अद्यतन अनुमानित लागत ₹516.02 करोड़ है।
1934 के भूकंप में ध्वस्त हुआ था रेल लाइन
1934 में प्रयलंकारी भूकंप में पुल के ध्वस्त होने के बाद सुपौल से मधुबनी दरभंगा का संपर्क पूरी तरह से कट गया था। 1887 में निर्मित पुल सुपौल के निर्मली के पास कोशी की सहायक नदी तिलजुगा के पास बनाया गया था जो नए बने पुल से अलग है। कोशी नदी अपने स्थान को बदलने के लिए जग जाहिर है। जिस जगह पर नया पुल बनाया गया है यहां 1934 के समय कोशी नदी नही बहती है। यह बिल्कुल नई लाइन और नया पुल है। 23 जून को इस रेलखंड पर ट्रेन चलाकर ट्रॉयल किया गया था। स्पेशल ट्रेन सरायगढ़ से आसनपुर कुपहा तक कि गयी। इसी महीने इस रेलखंड पर सीआरएस कराये जाने की योजना है।